International Labour Day 2023: आखिर क्यों 1 मई को मनाया जाता है मजदूर दिवस, जानें इसकी पूरी कहानी और इतिहास
हर साल पूरी दुनिया में 1 मई को मजदूर दिवस (Labour Day) मनाया जाता है. इसकी शुरुआत 1886 में अमेरिका से हुई, लेकिन धीरे-धीरे यह दुनिया के कई देशों में मनाया जाने लगा. यहां मजदूर दिवस का मतलब सिर्फ़ मजदूरों से नहीं बल्कि हम उस शख्स से है, जो नौकरी करता है. मजदूर दिवस का महत्व पूरी दुनिया के लिए खास है, क्योंकि इस दिन से ही कुछ ऐसे बदलाव हुए जिन्होंने पूरी दुनिया के नौकरीपेशा लोगों के जीवन को आसान बनाया. आइए इस दिन के महत्व और इतिहास को विस्तार से जानते हैं.
बात साल 1886 की है. 1 मई के दिन ही अमेरिका में मजूदर आंदोलन की शुरुआत हुई. अमेरिका के मजदूर और कामगार सड़क पर उतर आए और अपने हक के लिए आवाज बुदंल करने लगे. दरअसल, उस समय मजदूरों से 15-15 घंटे काम लिया जाता था और हालात बहुत बुरे थे. इसी से परेशान होकर मजदूरों ने अपनी लड़ाई लड़ने का फैसला लिया और सड़क पर उतर गए.
गोलीबारी में गई कई मजदूरों की जान
प्रदर्शनकारी मजदूरों पर पुलिस ने गोलीबारी कर दी. इस गोलीबारी में कई मजदूरों की जान चली गई और सैकड़ों लोग घायल हो गए. इस घटना के तीन साल बाद 1889 में अंतरराष्ट्रीय समाजवादी सम्मेलन हुआ. इसी में फैसला लिया गया कि हर मजदूर एक दिन में केवल 8 घंटे ही काम लिया जाएगा. इसी सम्मेलन में यह फैसला भी लिया गया कि 1 मई को हर साल मजदूर दिवस मनाया जाएगा. इसके अलावा, 1 मई को छुट्टी देने का फैसला भी लिया गया. सबसे पहले अमेरिका में 8 घंटे काम करने के नियम के बाद कई देशों में इस नियम को लागू किया गया.
आखिर क्यों 1 मई को मनाया जाता है मजदूर दिवस
1 मई 1886 को अमेरिका में आंदोलन की शुरूआत हुई थी। इस आंदोलन में अमेरिका के मजदूर सड़कों पर आ गए थे और वो अपने हक के लिए आवाज बुलंद करने लगे। इस तरह के आंदोलन का कारण था काम के घंटे क्योंकि मजदूरों से दिन के 15-15 घंटे काम लिया जाता था। आंदोलन के बीच में मजदूरों पर पुलिस ने गोली चला दी और कई मजदूरों की जान चली गई। वहीं 100 से ज्यादा श्रमिक घायल हो गए। इस आंदोलन के तीन साल बाद 1889 में अंतरराष्ट्रीय समाजवादी सम्मेलन की बैठक हुई। जिसमे तय हुआ कि हर मजदूर से केवल दिन के 8 घंटे ही काम लिया जाएगा।इस सम्मेलन में ही 1 मई को मजदूर दिवस मनाने का प्रस्ताव रखा गया। साथ ही हर साल 1 मई को छुट्टी देने का भी फैसला लिया गया। अमेरिका में श्रमिकों के आठ घंटे काम करने के निमय के बाद कई देशों में इस नियम को लागू किया गया।
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भारत में कब हुई शुरूआत
अमेरिका में भले ही 1 मई 1889 को मजदूर दिवस मनाने का प्रस्ताव आ गया हो। लेकिन भारत में ये आया करीब 34 साल बाद। भारत में 1 मई 1923 को चेन्नई से मजदूर दिवस मनाने की शुरूआत हुई। लेबर किसान पार्टी ऑफ हिंदुस्तान की अध्यक्षता में ये फैसला किया गया। इस बैठक को कई सारे संगंठन और सोशल पार्टी का समर्थन मिला। जो मजदूरों पर हो रहे अत्याचारों और शोषण के खिलाफ आवाज उठा रहे थे। इसका नेतृत्व कर रहे थे वामपंथी।
इसके बाद 1889 में पेरिस में अंतरराष्ट्रीय महासभा की द्वितीय बैठक में एक प्रस्ताव पारित किया गया कि 1 मई को अंतरराष्ट्रीय मजदूर दिवस के रूप में मनाया जाए, तब से ही दुनिया के 80 देशों में मई दिवस को राष्ट्रीय अवकाश के रूप में मनाया जाने लगा।
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भारत में 1923 से इसे राष्ट्रीय अवकाश के रूप में मनाया जाता है।
क्या है मजदूर दिवस का उद्धेश्य
1 मई को हर साल मजदूर दिवस मनाने का उद्धेश्य मजदूरों और श्रमिकों की उपलब्धियों का सम्मान करना और योगदान को याद करना है। इसके साथ ही मजदूरों के हक और अधिकारों के लिए आवाज बुलंद करना और शोषण को रोकना है। इस दिन बहुत सारे संगठनों में कर्मचारियों को एक दिन की छुट्टी दी जाती है।
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